संक्षेप (TL;DR)
भारतीय संसद लोकसभा राज्यसभा , लोकतंत्र का मंदिर, आज कई बार शोर-शराबे और व्यक्तिगत हमलों का अखाड़ा बन जाता है। समस्या कौशल की नहीं, सोच और नीयत की है। असली सुधार तभी होगा जब नेता व्यक्तिगत एजेंडा छोड़कर राष्ट्रहित में काम करेंगे। जागरूक नागरिकों के सहयोग से बदलाव संभव है।
आइए, बहसों को सही दिशा दें — और बेहतर भारत बनाएं!
📜 आज की संसद — चर्चा कम, शोर ज्यादा
आज जब हम संसद की कार्यवाही देखते हैं, तो दिखाई देता है:
- जोरदार शोरगुल और वॉकआउट्स
- नीतियों पर नहीं, व्यक्तिगत आरोपों पर चर्चा
- मूल्यवान समय की बर्बादी
ये दृश्य लोकतंत्र के मंदिर की गरिमा को ठेस पहुँचाते हैं।
🤔 समस्या इतनी कठिन क्यों है?
क्योंकि समस्या तकनीक या बोलने के तरीके की नहीं है —समस्या सोच की है।
हर सांसद संसद में ‘बेहतर भारत’ बनाने के इरादे से नहीं आता। कई सांसद सिर्फ:
- अपना व्यक्तिगत या पार्टी एजेंडा आगे बढ़ाने
- मीडिया में दिखने और
- अगले चुनाव जीतने के लिए आते हैं।
लेकिन अब समय बदल रहा है —
भारतीय नागरिक ज्यादा समझदार और जागरूक हो रहे हैं।
अब लोग साफ देख रहे हैं कि कौन सच्चे मन से देश के लिए काम कर रहा है और कौन सिर्फ नाटक कर रहा है।
🛠️ समाधान क्या है?
हमें कोई “कोर्स” नहीं चाहिए —
हमें चाहिए एकराजनीतिक संस्कारों में बदलाव।
कैसे?
- जवाबदेही: जनता को सांसदों से मुद्दों पर चर्चा की माँग करनी चाहिए।
- जागरूकता: मीडिया और समाज को जिम्मेदार बहसों को बढ़ावा देना चाहिए।
- स्मार्ट वोटिंग: सिर्फ वादे करने वाले नहीं, मुद्दों पर काम करने वालों को वोट दें।
- कड़े नियम: संसद में आचरण के सख्त नियमों को लागू करें।
हमें सांसदों को बोलना नहीं सिखाना है, बल्कि याद दिलाना है कि वे वहाँ किस उद्देश्य से हैं।
✨ हमारा सपना: एक नई संसद, एक नया भारत
कल्पना कीजिए एक ऐसी संसद जहाँ:
- तथ्य, भावनाओं पर भारी हों
- समाधान, आरोपों से बड़े हों
- देशहित, व्यक्तिगत स्वार्थ से ऊपर हो
यही असली लोकतंत्र है। यही बेहतर भारत का रास्ता है।
🧭 निष्कर्ष: परिवर्तन हमारे हाथ में है
नेतृत्व सिर्फ भाषण देने में नहीं है —
नेतृत्व है सोचने में, सुनने में और जिम्मेदारी से बोलने में।
✅ बहसों को मुद्दा आधारित बनाएं।
✅ जिम्मेदार नेताओं को समर्थन दें।
✅आइए, संसद में भी “चलो मिलकर बेहतर भारत बनाएं” का नारा साकार करें!
प्रातिक्रिया दे